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घड़ियाँ
घड़ियाँ
अब सिर्फ़ समय नहीं बतातीं
लोगों की हैसियत भी बताती हैं
जितने बड़े लोग, उतनी महँगी घड़ियाँ
घड़ियाँ अब
कलाइयों की ही शोभा नहीं
बेडरूम, ड्राइंग रूम और गाड़ियों
की भी शोभा बढ़ाती हैं
हर अवसर के लिए
अलग तरह की घड़ियाँ
जितने देश
उतने तरह के समय
ऐसी ही कुछ
ज़िंदगी की भी घड़ी है
कोई नहीं जानता
कब और कहाँ रुक जाय।
२१ अप्रैल २००८
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