अनुभूति में
ज्योतिर्मयी पंत की रचनाएँ-
हाइकु में-
सूरज सेठ
जनक छंद में-
पौध को रोपना
संकलन
में-
होली है-
फुलकारी रंगीन (दोहे)
नया साल-
आया है नव वर्ष (कुंडलिया)
मेरा भारत-
अनुपम अपना देश है (दोहे)
वर्षा मंगल-
पहली बूँदें पाय (दोहे)
विजय पर्व-
समस्याओं के दशानन (दोहे)
रघुनंदन वंदन-
धरा पर लौटें रघुपति (कुंडलिया)
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पौध को रोपना
(जनक छंद)
नीम पौध को रोपना।
आजीवन जो साथ दे-
यही विरासत सौंपना।
पीपल बरगद आँवले।
आम नीम शुचि छाँव दें-
काट न तरु ओ बावले।
पुरुखों के उपदेश हैं।
वृक्ष मनुज के मित्र से-
सदा हमें सुखदेत हैं।
प्रसाधनों से प्रेम है।
विज्ञापन बाज़ार में-
नीम प्रकृति की देन है।
साबुन- शैम्पू क्रीम लें।
रंग-रूप जो निखरते-
नुस्खे घर के परख लें।
परहित उत्तम धर्म है।
शिवि दधीचि या कर्ण से-
सब धर्मों का मर्म है।
१० जून २०१३ |