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होली है!!
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फुलकारी
रंगीन (दोहे) |
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धरती
जैसे नव वधू, धारे वस्त्र नवीन
चुनरी पीली ओढती, फुलकारी रंगीन
भौंरों की गुंजार में, कोकिल की हो तान
तितली थिरके मस्त हो, बागों में रसपान
फूल छिड़कते रंग हैं, रस सुगंध मकरंद
रूप प्रकृति का देख के, मन में उपजें छंद
होली खेलें रंग से, मन में भर उल्लास
बेबस जीवन जी रहे, उनको बाँटें आस
हँसी ठिठोली प्यार की, नाच गीत संगीत
गुजिया मीठी, दावतें, मिल जाएँ सब मीत
काँजी शरबत साथ हो, ठंडाई में भाँग
जग में सब खुशहाल हों, यही दुआएँ माँग
-ज्योतिर्मयी पंत
२५ मार्च २०१३ |
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