१ संवत्सर
आरम्भ हो, नवमी तिथि मधुमास
राम जन्म की धूम हो, भक्ति पूर्ण विश्वास
भक्ति पूर्ण विश्वास, पर्व ये सब को भाता
पूजन व्रत उपवास, करें जन अति फलदाता
मर्यादा के धाम, बसें सबके अभ्यंतर
सब को दें वरदान, सभी को शुभ संवत्सर
२
सुमिरन मन्त्र अमोघ है, रघुपति राघव राम
श्रद्धा औ विश्वास की, टेक एक ही नाम
टेक एक ही नाम, यही वेदों की बानी
जप कर उल्टा नाम, आदि कवि रचें कहानी
धर्म-अर्थ या मोक्ष, काम हरि अर्पित सुधिजन
बनते बिगड़े काज, करें निशिदिन जो सुमिरन
३
रघुपति ही आदर्श हैं, अतुल गुणों की खान
मात पिता के वचन का, रखा प्रेम से मान
रखा प्रेम से मान, राज त्यागा हित भाई
भेद -भाव से दूर, हरें दुख नित सुखदाई
घर परिवार समाज, राज्य में पनपे सम्पति
लेकर फिर अवतार, धरा पर लौटें रघुपति
ज्योतिर्मयी पंत
२२ अप्रैल २०१३ |