अनुभूति में
ज्योतिर्मयी पंत की रचनाएँ-
हाइकु में-
सूरज सेठ
जनक छंद में-
पौध को रोपना
संकलन
में-
होली है-
फुलकारी रंगीन (दोहे)
नया साल-
आया है नव वर्ष (कुंडलिया)
मेरा भारत-
अनुपम अपना देश है (दोहे)
वर्षा मंगल-
पहली बूँदें पाय (दोहे)
विजय पर्व-
समस्याओं के दशानन (दोहे)
रघुनंदन वंदन-
धरा पर लौटें रघुपति (कुंडलिया)
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सूरज सेठ
(हाइकु)
१
सूरज सेठ
धूप तिजोरी बंद
खोलेगा जेठ
२
सुस्त है घाम
खुले बर्फ गोदाम
ठण्ड बेदाम
३
रास्ते निराले
स्थिर हों पैरों तले
मिलें मंजिलें
४
उल्टा प्याला
रवि का रंग फैला
नभ निराला
५
धुंध ने रोके
धूप के सारे रास्ते
वृक्षों से झाँके
६
छत में धूप
घर की पंचायत
सजती खूब
७
नभ ने खोले
चाँदी भरे खजाने
बरसे ओले
२४ मार्च २०१४ |