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अनुभूति में श्रीकांत मिश्र कांत की रचनाएँ-

गीतों में-
आओ अलाव जलायें
अबकी गन्ना
गीत गुनगुना मन
तिनका तिनका घोंसला
पाहुन आये फिर से देश
बादल ने धरती से तोड़े
बाँवरे! किस चाह में
भाग ले राजू भैया
भारती उठ जाग रे
मृत्यु की पदचाप

दोहों में-
काँव काँव संसद करे

संकलन में-
पलाश- टेसू के फूल
पिता की तस्वीर- ओ पिता
बाँस - अरी बाँसुरी
ममतामयी- याद तू आती है माँ
होली है- कहना मेरे गाँव से
होली है- विरहन की क्या होली
होली है- टेसू के फूल
नया साल- विदा होने से पहले

कार्यशाला में-
सर्द मौसम की कहानी

 

काँव काँव संसद करे

काँव-काँव संसद करे, जनता हहाकार
कहो 'कान्त' कैसे हटे, अब यह भ्रष्टाचार

महँगाई रावण बनी, शीश दशानन होय
वित्त प्रबन्धन विकट है, देश दिये बहु रोय

बहै पसीना श्रमिक का, बहु उत्पादन होय
नये साल में नवधनिक, निर्धनता सब खोय

नूतन इस नव वर्ष में, भरें भाव सब कोय
घृणा वितृष्णा ना रहे, स्नेह सभी में होय

अलंकार कैसे मिलें, हिये नहीं जब भाव
रसधारा बहती नहीं, जब अवरुद्ध बहाव

१५ सितंबर २०१५

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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