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होली है

 

विरहन की क्या होली
(सीमा पर शहीद जवानों को समर्पित)

बौरायी अमवा की डालें
कुसुमित कलियाँ बोलीं
बैरन बनी चाँदनी शीतल
विरहन की क्या होली

खेत खेत वासन्ती सरसों
सुरभित मंजरी महकी
गोधूलि अंबर सतरंगी
ऊषा चिड़ियाँ चहकी
मन उपवन है चन्दन टेसू
किसलय कोयल बोली
विरहन की क्या होली

आली आँगन पुलकित झूमें
लीपें सब चौबारे
निरख चुनरिया वाट जोहती
सीमा संग पिया रे
पर्वतराज कुपित हिम वर्षी
ध्वज में उठती डोली
विरहन की क्या होली

रूठे चूड़ी कंगन पायल
वह बाहों का घेरा
जड़वत बैठी मूक शिला सी
दायित्वों का डेरा
माँ हैं पापा अमर हमारे
नन्ही बिटिया बोली
विरहन की क्या होली

अवनी हरियाली कोंपल से
स्नेह समाधि सजाये
भोर बुहारे पवन बसन्ती
श्रद्धा सुमन चढ़ाये
कूजित गाथा गाये वन वन
विहगों की सब टोली
विरहन की क्या होली

श्रीकांत मिश्र कांत
५ मार्च २०१२

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