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याद तू आती है माँ

 

 

 
धूप जीवन की सताये
याद तू आती है माँ

नील नभ आशीष तेरा
धरणि तेरी गोद है
माँ गहन तू झील जैसी
तुझी में सुख मोद है
तोड़कर पाषाण शिशुहित
नदी बन जाती है माँ

रात के जुगुनू वो सारे
और चंदा सभी तारे
एक राजा एक रानी
खो गयी तेरी कहानी
चाँदनी आँचल पसारे
कथा कह जाती है माँ

नेह से सुरभित दिशायें
तेरे आँचल से पवन
सूर्य उगता बस तेरे हित
उषा मोहित मुदित मन
पवन जब आँगन बुहारे
गाय रंभाती है माँ

- श्रीकांत मिश्र कांत
२९ सितंबर २०१४

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