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श्रीकांत मिश्र कांत

 

जन्म- १० अक्तूबर १९५९ को उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी स्थित गाँव बढ़वारी ऊधौ में।

शिक्षा- विद्युत इंजीनीयरिंग में डिप्लोमा और कैमरा व कलम से बचपन का साथ निभाते हुये मल्टीमीडिया एनीमेशन, विडियो एडिटिग में विशेषज्ञता के साथ कम्प्यूटर एप्लीकेशन में स्नातक शिक्षा प्राप्त।

कार्यक्षेत्र-
केन्द्रीय सेवा, लेखन एवं पर्यटन। वर्ष १९९४ में कीव (यूक्रेन) में प्रवास के दौरान पूर्व सोवियत सभ्यता संस्कृति के साथ निकट संपर्क का अवसर मिला। तदुपरान्त अन्य अवसरों पर ओमान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, ताजिकिस्तान तथा भूटान की यात्रा से वैश्विक विचारों में संपुष्टता हुयी। असम के जोरहाट से गुजरात में जामनगर दक्षिण में बंगलौर, चेन्नेई से लेकर नागपुर, कानपुर, आगरा, चण्डीगढ कोलकाता सहित सारे भारत में लम्बे प्रवास से अखिल भारतीय सांस्कृतिक विद्यार्थी होने का अभिनव गौरव। विभिन्न समाचार पत्रों, में कविता लेख एवं कहानी का प्रकाशन। विभाग की पत्रिकाओं में लेख निबन्ध के प्रकाशन के साथ कई बार सम्पादकीय दायित्व का निर्वहन।

पुरस्कार व सम्मान-
कम्प्यूटर शिक्षा एवं राजभाषा प्रोत्साहन कार्यक्रमों में सक्रिय योगदान एवं कम्प्यूटर पर युनीकोड प्रचार हेतु विभाग में राजभाषा शील्ड सहित तथा अन्य मंचों पर अनेक बार सम्मानित।

निधन- १३ सितंबर २०१५

अभिव्यक्ति में

 

अनुभूति में श्रीकांत मिश्र कांत की रचनाएँ-

गीतों में-
आओ अलाव जलायें
अबकी गन्ना
गीत गुनगुना मन
तिनका तिनका घोंसला
पाहुन आये फिर से देश
बादल ने धरती से तोड़े
बाँवरे! किस चाह में
भाग ले राजू भैया
भारती उठ जाग रे
मृत्यु की पदचाप

दोहों में-
काँव काँव संसद करे

संकलन में-
पलाश- टेसू के फूल
पिता की तस्वीर- ओ पिता
बाँस - अरी बाँसुरी
ममतामयी- याद तू आती है माँ
होली है- कहना मेरे गाँव से
होली है- विरहन की क्या होली
होली है- टेसू के फूल
नया साल- विदा होने से पहले

कार्यशाला में-
सर्द मौसम की कहानी

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