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अनुभूति में नीरजा द्विवेदी  की रचनाएँ-

गीतों में-
उठो पथिक
ऐ मेरे प्राण बता
तार हिय के छेड़ो न तुम
निशा आगमन
बलिदानी आत्माओं की पीड़ा
विरहिन लगती प्रकृति प्रिया
हे सखि
 

  तार हिय के छेड़ो न तुम

तार हिय के छेड़ो न तुम
रो पडूँगी, रो पडूँगी
कंठ रुंधता वाणी चुप है
मौन में मुखरित ये दुख है
अश्रु कह देंगे व्यथा सब
मैं भला क्योंकर कहूँगी।
तार..

शब्द स्तम्भित, भाव चुप हैं
हृदय में अनगिनत दुख हैं
लेखनी लिख देगी स्वयं सब
मैं भला क्योंकर लिखूँगी
तार...

तार खंडित, सुर भी चुप हैं
रागिनी मे प्रतिध्वनित दुख हैं
वीणा दे देगी विदा अब
मैं तो कुछ ना करूँगी।
तार हिय के छेड़ो न तुम
रो पडूँगी, रो पडूँगी।

२ फरवरी २००९

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