निशा आगमन
आज चुनरिया श्यामल ओढ़े
रजनी बनकर सजनी आई।
प्रियतम से मिलने को आतुर
हौले से पग धरती आई।
दिनकर प्रिय को आते देखा
प्रिया निशा बहुत सकुचाई।
नत आनन, गालों पर छाई
व्रीड़ा की अद्भुत अरुणाई।
सुन्दरता देखी दिनकर ने
अपनी सब सुध-बुध बिसराई
हतप्रभ रहकर देखा इकटक
हिय ने प्रेम रागिनी गाई।
सजनी को ले अंकपाश में
प्रेमचिह्न अंकित कर डाला।
तब सकुचाई रजनी ने झट
मुख पर नीला घूँघट डाला।
२ फरवरी २००९ |