हो न सके हम
हो न सके हम
छोटी सी ख्वाहिश का हिस्सा
हो न सके हम बदन उधारे बच्चों जैसा
गर्मी या बारिश का हिस्सा
हुआ न मनुवां
किसी गैर की महफिल का गायक साज़िंदा,
अपने ही मौरूसी घर का
रहा हमेशा से कारिंदा
दास्तान हो सके न रोचक
याकि लोक में प्रचलित किस्सा
जीवन जीने की
कोशिश में
लगा रहा मैं भूखा-प्यासा
होना था कविता सा, लेकिन
हो न सका मैं ढंग की भाषा
जनम जनम से
होता आया
इन-उन की ख्वाहिश का हिस्सा
जीवन बांध नहीं
पाये हम
मंसूबे ही रहे बांधते,
खुलकर खेल न पाये बचपन
यों ही खिचड़ी रहे रांधते
हो न सके
जीवन जीने की
हम आदिम ख्वाहिश का हिस्सा
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