अनुभूति में
नवीन चतुर्वेदी
की रचनाएँ- नई रचनाओं
में-
अब इस दयार में
ऐलाने सहर
गनीमत से गुजारा
तमाम ख़ुश्क दयारों को
सच्ची श्रद्धा व सबूरी
अंजुमन में-
गाँवों से चौपाल
दिन निकलता है
न तो शैतान चाहिये
रूप होना चाहिये
हमें एक दूसरे से
गीतों में-
चल चलें एक राह नूतन
छंदों के मतवाले हम
मजबूरी का मोल
यमुना कहे पुकार
संकलन में-
होली है-
हुरियार चले बरसाने
वटवृक्ष-
बरगद
खिलते हुए पलाश-
खिलते हुए पलाश |
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यमुना कहे पुकार
यमुना कहे पुकार
तुमरे बिन हे नटवर नागर
कौन करे उद्धार
छोटे-मध्यम उद्यम, सबका -
दूषण यमुना में बहता
बाँध बना है जब से, तब से
पानी भी थम के रहता
पंक पटा है
तट से तल तक
दूषित है जल धार
तुमरे बिन
पल-छिन दूभर होता जाता
जल के जीवों का जीवन
मन में श्रद्धा अतिशय, लेकिन-
पान करें न वैष्णव जन
अरबों खरबों
के आवंटन
नेता गए डकार
तुमरे बिन
२५ जुलाई २०११ |