अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में नवीन चतुर्वेदी की रचनाएँ-

नई रचनाओं में-
अब इस दयार में
ऐलाने सहर
गनीमत से गुजारा
तमाम ख़ुश्क दयारों को
सच्ची श्रद्धा व सबूरी

अंजुमन में-
गाँवों से चौपाल
दिन निकलता है
न तो शैतान चाहिये
रूप होना चाहिये
हमें एक दूसरे से

गीतों में-
चल चलें एक राह नूतन
छंदों के मतवाले हम
मजबूरी का मोल
यमुना कहे पुकार

संकलन में-
होली है- हुरियार चले बरसाने
वटवृक्ष- बरगद
खिलते हुए पलाश- खिलते हुए पलाश

`

ऐलाने सहर

रोज़ ही करती हैं ऐलाने-सहर
ओस की बूँदें मुलायम घास पर

रात भर टूटे हैं इतने कण्ठ-हार
सुब्ह तक पत्तों से झरते हैं गुहर

बस ज़रा अलसाई थी कोमल कली
आ गये गुलशन में बौराये-भ्रमर

भोर की शीतल-पवन अलसा चुकी
धूप से चमकेगा अब सारा नगर

इस का इस्तेमाल कर लीजे हुजूर
धूप को तो होना ही है दर-ब-दर

वाह री ठण्डी दुपहरी की हवा
जैसे मिलने आ रहे हैं हिम-शिखर

इक सितारा आसमाँ से गिर पड़ा
चाँद को ये भी नहीं आया नज़र

नये-नये गार्डन बने हैं शह्र में
पर वहाँ पञ्छी नहीं आते नज़र

सोचता हूँ देख कर ऊँचा गगन
एक दिन जाना है वाँ सब छोड़ कर

३ मार्च २०१४

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter