अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

मधु प्रसाद

जन्म : २१ जनवरी १९५६ को चंदौसी भारत में
प्रकाशित कृति : आँगन भर आकाश
संप्रति : अध्यापन
आत्मकथ्य : कविता है तो रंग, स्पर्श गंध सब जीवंत हैं। इंद्रधनुष आकाश में ही नहीं मन पर भी बनने लगते हैं। जीने ``मिटने का अहसास है कविता। कविता है तो समय में स्पंदन है प्रकृति में नर्तन है, अंतर में वंदन है और जीवन में चंदन है वरना जीवन केवल बंधन है।

 

अनुभूति में मधु प्रसाद की अन्य रचनाएँ-

नए गीतों में-
जैसे श्याम घटाएँ
दिन कपूर बन
सुरमई सपने
ठगे से रह गए

गीतों में-
मन की विपदा
उलझन
रोशनी की कामना
संकलन में-
सावन के पलछिन



 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter