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अनुभूति में क्षेत्रपाल शर्मा की रचनाएँ-

नए गीतों में-
गीत सुलह का गाया जाए
जब भी बही हवा पुरवाई
साँझ सकारे
हँसी तुम्हारी चंदा जैसी

गीतों में-
कुछ आगजनी कुछ राहजनी
तेरी याद जनम भर आए
पहलेवाली बात नहीं है
बदल जाए मौसम

 

तेरी याद जनम भर आए

तेरी याद जनम भर आए

हरियाले-घूँघट के पीछे,
दूब लाज से शरमाई है
छितराए आवारा बादल,
चौमासे की ऋतु आई है

ऐसी विरल घड़ी में धरती,
अंबर से अभिसार सजाए
तेरी याद जनम भर आए

वातायन, कोयल की शाला,
घट सुमनों के मधु अमराए
साजन की पगड़ी में पन्‍नी,
खिलने – मिलने के दिन आए

एक इशारा, खिली-खिली में --
भादों यह अमृत बरसाए
तेरी याद जनम भर आए

आँगन में तुलसी दल फूला,
संझा तक देवल में दीवा,
पंचों के घेरे से, मंडित
चमक-दमक रहता है जीवा,

गरल, सरल बन जाए, ऐसा
कोई जादू – पाठ पढ़ाए
तेरी याद जनम भर आए

२४ नवंबर २००८

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