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अनुभूति में क्षेत्रपाल शर्मा की रचनाएँ-

नए गीतों में-
गीत सुलह का गाया जाए
जब भी बही हवा पुरवाई
साँझ सकारे
हँसी तुम्हारी चंदा जैसी

गीतों में-
कुछ आगजनी कुछ राहजनी
तेरी याद जनम भर आए
पहलेवाली बात नहीं है
बदल जाए मौसम

 

पहलेवाली बात नहीं है

मैं इस घर हूँ, तुम उस घर हो,
खुशबू-वाला हाथ नहीं हैं
तुम भी तुम हो, मैं भी मैं हूं
पहले वाली बात नहीं हैं

हर्षित तन था, हर्षित मन भी,
समय ठहरने की मनुहारें
समय काटने की मजबूरी,
अब हाथ छुड़ाएँ बूढ़े, बारें
धूमिल हैं सब भव्‍य नज़ारे
काया का भी साथ नहीं है

सब-कुछ-है, पर-नहीं-काम का,
बदल गए अपनों के तेवर
ठाठ-बाट सब छूटे पीछे,
वृथ, अनमोल जड़ाऊँ जेवर
दिन ही दिन हैं, बेचैनी के,
सपनों वाली रात नहीं है

ज्‍योतिर्मयी नयन अंधराए,
लोपित हुआ वरन कंचन-सा
ज्ञान-बावरा भटके मनुआ,
झरे पात कंटक-ठनठन सा
हरिया जायें खेत, बाग़-वन,
अब ऐसी बरसात नहीं है

२४ नवंबर २००८

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