अनुभूति में
क्षेत्रपाल शर्मा
की रचनाएँ-
नए गीतों में-
गीत सुलह का गाया जाए
जब भी बही हवा पुरवाई
साँझ सकारे
हँसी तुम्हारी चंदा जैसी
गीतों में-
कुछ आगजनी कुछ राहजनी
तेरी याद जनम भर आए
पहलेवाली बात नहीं है
बदल जाए मौसम
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हँसी तुम्हारी चंदा जैसी
हँसी
तुम्हारी चंदा जैसी,
चितवन फूल पलाश
बातें झरना यथा ओसकण
तारों भरा उजास
गुन-गुन
भौंरों जैसे गाना,
और शरारत से मुस्काना
हौले-से,
ही हमें चिढ़ाना
वादा कर फिर हाथ न आना
चमकाती लेकिन फिर भी हो
एक किरन की आस
जो भी
दिन है साथ बिताए,
जस फूलों की घाटी घर
नोंक-झोंक
विस्मृति-स्मृति में,
एक क्षीरमय सुन्दर सर
मिलना तुम से तीरथ जैसा,
भूला - बिसरा रास
२९ जून २००९ |