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अनुभूति में हरीश निगम
की रचनाएँ—

नए गीतों में-
दुख नदी भर
बादल लिखना
बिखरे हैं पर
फुनगियों तक बेल
मँझधार में रहे

शिशु गीतों में—
धूप की मिठाई
पंख दिला दो ना

गीतों में—
इस नगर से
ऊँघता बैठा शहर
कहाँ जाएँ
चाँदनी सिसकी
ज़िंदगी की बात

पनघटों पर धूल
शेष हैं परछाइयाँ

संकलन में—
वसंती हवा – फागुन में
ज्योतिपर्व – फुलझड़ियाँ लिख देतीं

 

फुनगियों तक बेल

फुनगियों तक
बेल चढ़ आई!

बादलों को
टेरती
होती सिंदूरी
देह सौगंधों हरी
मन की मयूरी

इंद्रधनु के
पत्र पढ़ आई!

दूब-अक्षत
फूल खुशबू
धूप गाती
सप्तपदियाँ घोलती
पायल बजाती

नेह के
सौ बिंब गढ़ आई!

२७ जुलाई २००९

 

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