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अनुभूति में अवध बिहारी श्रीवास्तव की रचनाएँ-

नए गीतों में-
ऐसी पछुआ हवा चली
बेचैनी का मौर
राजा रानी बैठ झरोखे
सिंहासन
 

गीतों में-
दुख का बेटा
बरस रही वस्तुएँ
बादल मत आना इस देश
मंडी चले कबीर
मैके की याद
लड़कियाँ

 

मैके की याद

भाभी तेरी ननद दुलारी
भूली यहाँ चौकड़ी सारी।

सास अभी से कहे निपूती
ननद कह रही कामचोर है।
वे कहते हैं उठ, जा, जल्दी
आँगन में हो गई, भोर है।

देवर माँगे भरे पराठे
ससुर कहें पूड़ी तरकारी।

याद बहुत आता हैं भाभी
'रानी का पनघट पर रोना'।
'चिड़ियों का हौसला बंधाना।
'चलनी में पानी का ढोना।'

माँ से मेरे दुःख मत कहना
सुनकर रोएगी बेचारी।

बाबू से कहना मझली तो
उनके हाथों फूल-पान है।
पायल बजती ही रहती है,
ऊपर-नीचे का मकान है।

आँसूँ पी, भइया से कहना
'राज कर रही' बहिन तुम्हारी।

१८ अगस्त २००८

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