अनुभूति में
अवध बिहारी श्रीवास्तव की
रचनाएँ- नए गीतों में-
ऐसी पछुआ हवा चली
बेचैनी का मौर
राजा रानी बैठ झरोखे
सिंहासन
गीतों में-
दुख का बेटा
बरस रही वस्तुएँ
बादल मत आना इस देश
मंडी चले कबीर
मैके की याद
लड़कियाँ
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बादल मत आना इस
देश
साड़ी एक माँग कर लाई
तब अपनी धोकर फैलाई
उसको भी वह लेने आई
तुम आए तो सूख न पाए, मर्यादा को ठेस
बादल मत आना इस देश
छोटू को बुखार है कल से
उसे शीत लग जाती जल से
अबला क्या कर सकती बल से
पानी जहाँ न टपके घर में, ऐसी जगह न शेष
पिया हमारे घाटी घाटी
खोज रहे सोने की माटी
मेरी पीड़ा कभी न बाँटी
कुछ लाएँ तो घर बनवाएँ, अभी न देना क्लेश
बादल मत आना इस देश
अब तुझको क्या क्या बतलाना
जाड़ा है, हरगिज मत आना
यदि आए निश्चित मर जाना
घर में नहीं रजाई कोई, और न कोई खेस
बादल मत आना इस देश
वैसे भी तुम इधर न आना
यक्षप्रिया के घर रह जाना
लाठी का है यहाँ ज़माना
और भरोसा नही किसी का, बिगड़ा है परिवेश
बादल मत आना इस देश१८ अगस्त २००८ |