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अनुभूति में डॉ. अश्वघोष की रचनाएँ

अंजुमन में-
जो भी सपना
रफ़्ता रफ़्ता
रोज़मर्रा
सिलसिला ये दोस्ती का

छंदमुक्त में-
अभी तो लड़ना है
आज भी
शब्दों की किरचें
सड़क पर तारकोल
सदियों से भूखी औरत
सोच रहा है दिन

गीतों में—
जल नहीं है
तुमसे मिलके
लाजवंती धारणाएँ
संसद के गलियारे

संकलन में-
हिंदी की 100 सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ- नए साल में

 

 

संसद के गलियारे

चहल-पहल से
भरे हुए हैं
संसद के गलियारे

एक दूसरे को
जा-जाकर सांसद कथा सुनाएँ,
राजनीति के
दाँव पेच में
डूबी क्षेत्र कथाएँ
छूट रहे हैं
कहकहों के शानदार फव्वारे

जनता के दुखदर्द
जरा भी नहीं किसी को भाते,
तोड चुके हैं
सब गाँधी से
अपने रिश्ते-नाते
दीवारों पर लिखवाते हैं
खुशहाली के नारे

हिंसा को
हथियार बनाकर
अपना राज्य चलाएँ
घर से लेकर खेतों तक ये
बस दहशत फैलाएँ
मानवता का खून करें ये
खुले आम हत्यारे

४ फ़रवरी २००८

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