अनुभूति में डॉ. अश्वघोष
की रचनाएँ—
अंजुमन में-
जो भी सपना
रफ़्ता रफ़्ता
रोज़मर्रा
सिलसिला ये दोस्ती का
छंदमुक्त में-
अभी तो लड़ना है
आज भी
शब्दों की किरचें
सड़क पर तारकोल
सदियों से भूखी औरत
सोच रहा है दिन
गीतों में—
जल नहीं है
तुमसे मिलके
लाजवंती धारणाएँ
संसद के गलियारे
संकलन में-
हिंदी की 100 सर्वश्रेष्ठ प्रेम कविताएँ-
नए साल में
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सदियों से भूखी औरत
सदियों से भूखी औरत
करती है सोलह शृंगार
पानी भरी थाली में देखती है
चन्द्रमा की परछाईं
छलनी में से झाँकती है पति का चेहरा
करती है कामना दीर्घ आयु की
सदियों से भूखी औरत
मन ही मन बनाती है रेत के घरौंदें
पति का करती है इन्तज़ार
बिछाती है पलकें
ऊबड़ खाबड़ पगडण्डी पर
हर व़क्त गाती है गुणगान पति का
बच्चों में देखती है उसका अक्स
सदियों से भूखी औरत
अन्त तक नहीं जान पाती
उस तेन्दुए की प्रवृति जो
करता रहा है शिकार
उन निरीह बकरियों का
आती रही हैं जो उसकी गिरफ्त में
कहीं भी
किसी भी समय।
२९ जून २००९ |