यह अँधेरा तो नया
बिल्कुल नया है
यह अँधेरा तो नया
बिल्कुल नया है
और मेरी दृष्टि है प्राचीन अति प्राचीन
साँस श्यामल हो
गई ऐसा अँधेरा है
प्यास पागल हो गई ऐसा अँधेरा है
डस लिया युग चेतना को इस अँधेरे ने
उम्र काजल हो गई ऐसा अँधेरा है
साध्य पीढ़ी का
नया बिल्कुल नया है
और मेरी सिद्धि है प्राचीन अति प्राचीन
है पराजित दीप
'औ' जेता अँधेरा है
सूर्यवादी भीड़ का नेता अँधेरा है
रौशनी की साम्प्रदायिकता विषैली है
मंच से उपदेश यह देता अँधेरा है
धर्म तो मेरा नया
बिल्कुल नया है
और मेरी भक्ति है प्राचीन अति प्राचीन
अब अँधेरे से
मुझे संतोष होता है
यह उजाला धमनियों में रोष बोता है
रात मुझको अंक में भरकर यही बोली
सूर्य सा दिखना यहाँ अब दोष होता है
रूप यह मेरा नया
बिल्कुल नया है
और मेरी सृष्टि है प्राचीन अति प्राचीन
४ मई २००९ |