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अनुभूति में आनंद शर्मा की रचनाएँ—

नए गीतों में-
कुछ तो होना ही था

तम का पीना आसान नहीं होता
यायावर जैसा जीवन जीते हैं
यह अँधेरा तो नया बिलकुल नया है
यह नगर व्यापारियों का है

गीतों में-
गंगाजल वाले कलश
मेरे मन के ताल में

  तम का पीना आसान नहीं होता

नेह आग के चरणों पर
धर देना पड़ता है
सुन री रजनी तम का पीना
आसान नहीं होता

स्वर्ण सरीखी देह धुएँ का
मोरमुकुट पहिने
तिल-तिल कर जलने वाले
क्षण हैं मेरे गहने

पुनर्जन्म जब तक सूरज का
निश्चित नहीं लगे
नत शिर होकर व्यंग मुझे
झंझाओं के सहने

देख आग को चंदन-सा
कर लेना पड़ता है
सुन री रजनी हँसकर जीना
आसान नहीं होता

कुटिया हो या महल
मुझे तो सीमा में रहना
सबको नींद दिलाने वाली
ज्योति कथा कहना
रामचन्द्र को सिया मिली औ
मिले अवध को राम
इसी खुशी में मुझे वंश के
साथ पड़ा दहना

बुझ-बुझ कर हर रोज जन्म
फिर लेना पड़ता है
सुन री रजनी मरकर जीना
आसान नहीं होता

मेरा तो उद्देश्य अंधेरे से
केवल लड़ना
सुप्त विश्व के माथे पर फिर
एक भोर जड़ना
दिनकर भी जब ओढ़ पराजय
गत हो जाता है
ऐसे कठिन समय में फिर
इतिहास नया गढ़ना

जड़ माटी में संवेदन
भर देना पड़ता है
सुन री रजनी दीपक बनना
आसान नहीं होता

४ मई २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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