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अनुभूति में सुमित्रानंदन पंत की अन्य कविताएँ

अन्य छंदों में-
नहान
गंगा

द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्
मैं नहीं चाहता चिर सुख

सावन

गीतों में-
तप रे मधुर मधुर मन
भारतमाता ग्रामवासिनी
मोह
मौन निमंत्रण
बाँध दिए क्यों प्राण

छंदमुक्त में-
पाषाण खंड

जीना अपने ही में

संकलन में-
वसंती हवा- वसंत
वर्षा मंगल - पर्वत प्रदेश में पावस
मेरा भारत- १५ अगस्त १९४७
ज्योति पर्व- बाल प्रश्न
तुम्हें नमन- बापू के प्रति

 

द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र!

हे त्रस्त ध्वस्त! हे शुष्क शीर्ण!
हिम ताप पीत, मधुमात भीत,
तुम वीतराग, जड़, पुराचीन!!

निष्प्राण विगत युग! मृत विहंग!
जग-नीड़, शब्द औ' श्वास-हीन,
च्युत, अस्त-व्यस्त पंखों से तुम
झर-झर अनन्त में हो विलीन!

कंकाल जाल जग में फैले
फिर नवल रुधिर,-पल्लव लाली!
प्राणों की मर्मर से मुखरित
जीव की मांसल हरियाली!

मंजरित विश्व में यौवन के
जगकर जग का पिक, मतवाली
निज अमर प्रणय स्वर मदिरा से
भर दे फिर नव-युग की प्याली!

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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