अनुभूति में
सुमित्रानंदन पंत की अन्य कविताएँ
अन्य छंदों में-
नहान
गंगा
द्रुत झरो
जगत के जीर्ण पत्र
मैं नहीं चाहता चिर सुख
सावन
गीतों में-
तप रे मधुर मधुर मन
भारतमाता
ग्रामवासिनी
मोह
मौन निमंत्रण
बाँध दिए क्यों प्राण
छंदमुक्त में-
पाषाण खंड
जीना अपने ही में
संकलन में-
वसंती हवा- वसंत
वर्षा मंगल -
पर्वत प्रदेश में पावस
मेरा भारत- १५ अगस्त १९४७
ज्योति पर्व- बाल प्रश्न
तुम्हें नमन- बापू के प्रति
|
|
बाँध दिए क्यों प्राण
बाँध दिए क्यों प्राण प्राणों से
तुमने चिर अनजान प्राणों से
गोपन रह न सकेगी
अब यह मर्म कथा
प्राणों की न रुकेगी
बढ़ती विरह व्यथा
विवश फूटते गान प्राणों से
यह विदेह प्राणों का बंधन
अंतर्ज्वाला में तपता तन
मुग्ध हृदय सौन्दर्य ज्योति को
दग्ध कामना करता अर्पण
नहीं चाहता जो कुछ भी आदान प्राणों से
|