उपलब्धि
मैं क्या जिया?
मुझको जीवन ने जिया -
बूँद-बूँद कर पिया, मुझको
पीकर पथ पर ख़ाली प्याले-सा छोड़ दिया
मैं क्या जला?
मुझको अग्नि ने छला -
मैं कब पूरा गला, मुझको
थोड़ी-सी आँच दिखा दुर्बल मोमबत्ती-सा मोड़ दिया
देखो मुझे
हाय मैं हूँ वह सूर्य
जिसे भरी दोपहर में
अंधियारे ने तोड़ दिया!
१४ जुलाई २००८
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