ज़किया ज़ुबैरी
लखनऊ में
जन्मी ज़किया जी का बचपन आज़मगढ़ में बीता। शुरूआती
स्कूली पढ़ाई आज़मगढ़ की सरकारी कन्या पाठशाला में हुई। कॉलेज की
पढ़ाई इलाहाबाद में और स्नातक की डिग्री बनारस हिन्दू
विश्वविद्यालय से।
बचपन से ही चित्रकारी एवं कविता व कहानी लिखने का शौक रहा है।
हिन्दी एवं उर्दू में समान अधिकार
रखनेवाली ज़किया जी की रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती
रही हैं। वे यू.के. में एशियाई लेखकों को मंच प्रदान करने में
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हिन्दी कहानियों, उपन्यासों को
उर्दू में अनूदित करवा कर प्रकाशित करवाने के बाद उन्होंने आठ
उर्दू लेखकों की कहानियों को हिन्दी में अनूदित करवा कर उसका
संपादन किया है, जो ब्रिटेन की उर्दू क़लम के नाम से प्रकाशित
हुई है। उनकी शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली दूसरी संपादित पुस्तक
का नाम है - प्रवासी हिन्दी ग़ज़ल संग्रह।
ज़कीया जी ब्रिटेन की लेबर पार्टी के सक्रिय सदस्या हैं। लेबर
पार्टी के टिकट पर आप तीन बार चुनाव जीत कर काउंसलर निर्वाचित हो
चुकी हैं। संप्रति वे लंदन के बारनेट संसदीय क्षेत्र के कॉलिंडेल
वार्ड की पहली और एकमात्र मुस्लिम महिला काउंसलर हैं। आप ग़रीबों
और कमज़ोरों की लड़ाई पूरी शिद्दत से लड़ती हैं और उन्हें सरकार
से उनके हक़ दिलवाने के सफल प्रयास करती हैं।
संपर्क-
zakiaz@aol.com
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अनुभूति में
ज़किया ज़ुबैरी की रचनाएँ-
नई रचनाओं
में-
अल्युम्युनियम के प्याले वाले कुत्ते
उलझन
ढाल
धूप का ढलता साया
फिर बदल गया
छंदमुक्त में-
और बच्चे खेलते रहे
क्या उसे हक़ था
खारदार झाड़ियाँ
दो खुली आँखें
ये कैसा ख़ौफ़ है
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