रात
फिर कट जाएगी रात
एक गौरैया की मानिंद
बैठी हूँ
सुबह की प्रतीक्षा है
फिर एक बार
दिन की उड़ान के लिए
सोना ज़रूरी है
रात का आना भी जरूरी है
कल की तैयारी है
आशाओं का विराट आसमान
कल फिर करेगा स्वागत
दिल खोल कर
फिर एक बारगी
खोलने होंगे पंख
स्वतंत्रता के
साहस से
टकटकी लगाकर
देख रहा है मन
दूर तक है विस्तार
अनंत तक जाएगी
आशा की हर लहर
लकीर खींचने की बारी है
अभी बस तैयारी है
१ मई २०२४ |