बात
बात फिर बात रखने की है
बात फिर बात समझने की है
बात ही बात में तर्क नहीं होते
हर बात में हर सवाल के हल नहीं होते
बस बात करने से बात नहीं बनती
बात करने की असल मंशा भी तो हो
बात ही बात में जो हठ कर बैठे
उन बातों के कायल हम कैसे हों
बात बराबरी की हो तो अच्छा
बात कभी ना भी हो तो अच्छा
बात के बस सुर ठीक-ठाक रहें
बिन बताए जो समझ आए तो और अच्छा
बेबाकी की हर बात के हम है कायल
बात दिल से निकली हो तो दिल घायल
बात के मर्म अगर समझ आ जाएं
फिर तो बात ही से जीवन संभल जाए
१ मई २०२४ |