अनुभूति में पुष्पा भार्गव की रचनाएँ —
छंदमुक्त
में-
अरुण
तुलसी
निर्झर प्राण
मन
हवा और पानी
हिमपात
संकलन में-
ज्योतिपर्व–
दीपों की माला
नया साल–
नया
वर्ष
होली है– होली
(३)
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मन
अगनित दीप जले नभ में
पर फिर भी रात अँधेरी
मन का दीपक एक जले
तो ज्योति पुंज की ढेरी।
महलों में वैभव जगमग
सुख का ताप घनेरा
जहाँ प्यार का दीप जले
बस मन का वहीं बसेरा।
८ सितंबर २००३
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