बहु प्रतीक्षित सपनों का सौदागर आया।
पाहुन बनकर नया वर्ष सबके घर आया।।
आँगन आँगन अभिनंदन के,
चौक सजाए।
सबको ऐसा लगे, कोई
अपने घर आए।।
जीवन में फिर कोई स्वर्णिस अवसर आया।
पाहुन बनकर नया वर्ष सबके घर आया।।
नए वर्ष का सूरज,
सबको बाँटे सोना।
हर बच्चे को मिले खेलने,
नया खिलौना।।
नया समय अब पहले से कुछ बेहतर आया।
पाहुन बनकर नया वर्ष सबके घर आया।।
बुझी हुई आँखों में,
सपनें जाग उठे हैं।
गहन तिमिर में जैसे,
दीपक राग उठे हैं।।
प्यासों के अधरों तक चलकर सरवर आया।
पाहुन बनकर नया वर्ष सबके घर आया।।
समय समंदर में हम सब,
बहते जाते हैं।
गहराई में गए वही,
मोती पाते हैं।।
समय पृष्ठ पर सूरज कर हस्ताक्षर आया।
पाहुन बनकर नया वर्ष सबके घर आया।।
सजीवन मयंक
1 जनवरी 2008
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