अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में पुष्पा भार्गव की रचनाएँ —

छंदमुक्त में-
अरुण
तुलसी
निर्झर प्राण
मन
हवा और पानी
हिमपात

संकलन में-
ज्योतिपर्व– दीपों की माला
नया साल–
या वर्ष
होली है– होली (३)
 


 

 

अरुण

क्षितिज के उस पार से
जहाँ चाँद सूरज का बसेरा
अरुण के आह्वान ने
सुख–सुनहरी रश्मियों से
भर दिया संसार मेरा।
लालिमा अरुणोदय की
प्रातः का मृदु बाल–कलश
ब्रह्म मुहूर्त हर दिशा में
दे रहा आलोक अभिनव।
नई आश उमंग लाया
आज यह सुख का सवेरा
ईश चरणों में झुका है
भक्ति से यह शीश मेरा।
हर्ष की किरणें विहँस कर
फैलती मेरे चमन में
खिलें फूल हुलास के
महकती खुशबू पवन में।

८ सितंबर २००३

 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter