अनुभूति में पुष्पा भार्गव की रचनाएँ —
छंदमुक्त
में-
अरुण
तुलसी
निर्झर प्राण
मन
हवा और पानी
हिमपात
संकलन में-
ज्योतिपर्व–
दीपों की माला
नया साल–
नया
वर्ष
होली है– होली
(३)
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हवा और पानी
हवा और पानी
तुम हो कितने दानी
इस जीवन की साँस हो तुम
तपती धरती के आस हो तुम
हवा चले झोंके से तो तू
उपवन की मलय बयार बने
जब इठला कर चलता पानी
तो वह नदिया की धार बने
हवा तेरी फूँक जगाती
वादन का संगीत
पानी तेरी कल–कल ध्वनि ने
गाए कितने गीत
न जाने किसके है
दो हाथ वरदानी
यह हवा और पानी
८ सितंबर २००३
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