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अनुभूति में महावीर शर्मा की रचनाएँ-

नई ग़ज़लें-
अदा देखो
जब वतन छोड़ा
दिल की ग़म से दोस्ती
भूलकर ना भूल पाए
सोगवारों में
 

अंजुमन में-
अधूरी हसरतें
ग़ज़ल
ज़िन्दगी से दूर
पर्दा हटाया ही कहाँ है?
प्रेम डगर
बुढ़ापा
ये ख़ास दिन

कविताओं में-
दो मौन

संकलन में-
दिये जलाओ- दीप जलते रहे
चराग आँधियों में
मौसम-भावनाओं के मौसम
फागुन के रंग-होली का संदेशा
 

  भूलकर ना भूल पाए

भूल कर ना भूल पाए, वो भुलाना याद है
पास आए, फिर बिछुड़ कर दूर जाना याद है

हाथ ज़ख़्मी हो गए, इक फूल पाने के लिए
प्यार से फिर फूल बालों में सजाना याद है

ग़म लिए दर्दे-शमां जलती रही बुझती रही
रौशनी के नाम पर दिल को जलाना याद है

सूने दिल में गूँजती थी, मद भरी मीठी सदा
धड़कनें जो गा रही थीं, वो तराना याद है

ज़िन्दगी भी छाँव में जलती रही यादें लिए
आग दिल की आँसुओं से ही बुझाना याद है

रह गया क्या देखना, बीते सुनहरे ख़्वाब को
होंट में आँचल दबा कर मुसकुराना याद है

जब मिले मुझ से मगर इक अजनबी की ही तरह
अब उमीदे-पुरसिशे-ग़म को भुलाना याद है

६ अक्तूबर २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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