अनुभूति में
लाल जी वर्मा की रचनाएँ-
छंदमुक्त में
अकेला
उत्तिष्ठ भारत
मुझमें हुँकार भर दो
मेरे हमसफ़र
चार छोटी कविताएँ
समय चल पड़ा
सुनोगी
क्षणिकाएँ
मुक्तक
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सुनोगी!
प्रिये,
आज मैं पढ़ना चाहता हूँ
स्वरचित, सारी कविताएँ
बताना चाहता हूँ
सारे कथानक, सारी कथाएँ
सस्वर पढ़ना चाहता हूँ
संगीतमय लड़ियाँ
सुनोगी?
और क्या पहचान पाओगी
कौन सी है, केवल
तुम्हारे लिए!
१ जून २००५
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