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अनुभूति में धनंजय कुमार की रचनाएँ

अंजुमन में-
क्या इशारे हो गए
दायरा
निगाहों में
पाप और पुण्य
रंग फीका पड़ रहा
रेत का तूफ़ान
रौशनी का तीर
सफ़र का बहाना

  रंग फीका पड़ रहा

रंग फीका पड़ रहा हो जब सँवर जाने के बाद
तुम मेरी आगोश में आओ बिखर जाने के बाद।

बद्दुआ मिलती रही भटके हुए इंसान को
अब सबक देते हैं सब, उसके सुधर जाने के बाद।

जब तुम्हारी ज़िंदगी में था तो पहचाना नहीं
ढूँढ़ते हो अब उसे, उसके गुज़र जाने के बाद।

तुम इधर के राज़, जब तक हो यहाँ पर, जान लो
वरना पूछोगे वहीं बातें, उधर जाने के बाद।

खाइयाँ भी ज़िंदगी के काम आ जाएगी अब
बन गए तैराक सब, तालाब भर जाने के बाद।

बोझ चाँदों का लिए ग़र टूट जाए ज़िंदगी
ज़िंदगी की याद रह जाएगी मर जाने के बाद।

बोझ यादों का लिए ग़र टूट जाए ज़िंदगी
ज़िंदगी की याद रह जाएगी मर जाने के बाद।

9 सितंबर 2007

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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