अनुभूति में
बिंदु भट्ट की रचनाएँ
नई रचनाएँ
अकस्मात
चित्र
तीन छोटी कविताएँ-
दिशा मौत हृदय-दर्पण
समर्पित
कविताओं में
खुद को परखना
जीना टुकड़े टुकड़े
दो छोटी कविताएँ
भोले चेहरे
मैं
वसंत
शब्द |
|
जीना टुकड़े-टुकड़े
मैं टुकड़े- टुकड़े जिया हूँ
कलियों संग खिला हूँ
काँटों संग सोया हूँ
भौरों संग डोला हूँ
कभी साथ-साथ
कभी अलग-अलग
हँसा हूँ, रोया हूँ
सब से जुड़ा हूँ
फिर भी
जुदा हूँ,
मैं टुकड़े
24 अगस्त 2007
|