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अनुभूति में विश्वमोहन तिवारी की रचनाएँ —

छंदमुक्त में-
अट्टादहन
आज जब अचानक
आत्मलिप्त
एकलव्य
कंचनजंघा
बंधुआ मज़दूर
बेघर
लहरें

क्षणिकाओं में-
कर्गिल की जीत, पोपला, सुधी पाठक, आस्था, खौफ। 

संकलन में-
गाँव में अलाव- शरद की दोपहर
प्रेमगीत– जवाकुसुम
गुच्छे भर अमलतास– जेठ का पवन
                –ग्रीष्म की बयार

 

लहरें

तेजी से बढ़ते ज्वार में
सूखे रेतीले तट पर
दौड़ती आती हैं लहरें
हर लहर के आने पर
सिकता की तरह
सिक्त होता रहता है मन

जाने के साथ लहरें
छोड़ जाती हैं
खोखले शंख, सीपी और घोंघे
सूखते रेतीले तट पर

बटोरते रहते हैं
शंख, सीपी और घोंघे
हम
न खोजकर मोती
बटोरते रहते हैं
शंख, सीपी और घोंघे
हम

२० जनवरी २००२

 

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