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अनुभूति में विश्वमोहन तिवारी की रचनाएँ —

छंदमुक्त में-
अट्टादहन
आज जब अचानक
आत्मलिप्त
एकलव्य
कंचनजंघा
बंधुआ मज़दूर
बेघर
लहरें

क्षणिकाओं में-
कर्गिल की जीत, पोपला, सुधी पाठक, आस्था, खौफ। 

संकलन में-
गाँव में अलाव- शरद की दोपहर
प्रेमगीत– जवाकुसुम
गुच्छे भर अमलतास– जेठ का पवन
                –ग्रीष्म की बयार

 

कर्गिल की जीत

सेना बोफोर्स के गोलों से कर्गिल जीत जाती है
देश की मिट्टी लेकिन बोफोर्स हवालों से हार जाती है
और हवालों की बढ़त का क्या कहिये
अब तो बोफोर्स के हवालों पै हँसी आती है

पोपला

जब दाँत में तेज दर्द होता है
तब दर्द वाले दांत पर अँगुली रखना मुश्किल होता है
अक्सर गलत दांत निकाल देता है डाक्टर
तब क्या कश्मीर का मसला हल करते करते
हमारे सारे दाँत निकल जाएँगे

सुधी पाठक

हँड़िया में बचा चावल का एक दाना
कृष्ण का उसको खाना
दुर्वासा की भूख का शांत होना
यह तो है एक शब्द के बल पर
कविता का होना


आस्था

आज के चोरों को
अपनी चतुराई पर
आस्था है इतनी
कि घर में लगी सेंध
दिखती है उन्हें
चूहे के बिल जितनी

खौफ़

आज वहाँ  है देश जहाँ  है
खौफ़ नहीं घुसपैठियों का
मुझे खौफ़ तो चाराखोरों से है
जो मिरे चमन को सुखा न दें
झील और सागर
झील में जब
गिरता है एक कंकड़
नहीं उठती कोई लहर
सुरखाब आता है उतर
नहीं उठती कोई तरंग
केवल हंस आनंदित परम
तब झील हो जाती है सागर

२० जनवरी २००२

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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