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अनुभूति में विश्वमोहन तिवारी की रचनाएँ —

छंदमुक्त में-
अट्टादहन
आज जब अचानक
आत्मलिप्त
एकलव्य
कंचनजंघा
बंधुआ मज़दूर
बेघर
लहरें

क्षणिकाओं में-
आस्था, पोपला, सुधी पाठक, खौफ, कार्गिल की जीत

संकलन में-
गाँव में अलाव- शरद की दोपहर
प्रेमगीत– जवाकुसुम
गुच्छे भर अमलतास– जेठ का पवन
                –ग्रीष्म की बयार

 

अट्टादहन!

अट्टा!
जाओ, गोद में लेकर सैंकड़ो लोगों को
हज़ारों फुट ऊँची अट्टालिकाओं को
भस्म करो आग की लपटों में
जाओ, यह ओसामा बिन वरदान
दिया गया है तुम्हें
तुम जलोगे नहीं
वह तो बलिदान होगा तुम्हारा
और तुम पहुँचोगे जन्नत!
और वे काफिर
जलते रहेंगे आग में!
आग में जलते रहेंगे, वे सब काफिर!

अब जल रहा है
अफगानिस्तान बारूदी आग में!
और भी जलेंगे
सब अफगानिस्तान अपने घृणा की आग में!

२० जनवरी २००२

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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