खींचतान
नारी युग युग से तूने झेले
कैसे कितने अत्याचार
अब आया समय
हिसाब किताब बराबर करें विचार
सत्य तुम आज उलटने को
तत्पर आतुर विधि विधान
यह धरती यह आसमान
अब पुरुष भी राजी
तो क्या पलट गई बाजी
अब होगी क्या आगे आगे नारी
नर उस के पीछे
नारी ऊपर नर उसके नीचे
फिर होगा क्या वही तमाशा
कौन किसे कैसे खींचे
नर नारी क्या खींचतान के झगड़े हैं
कि एक तराजू के पलड़े हैं।
२० जुलाई २००९ |