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अनुभूति में विद्यासागर जोशी की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अपना रंग अनूप
उसी के जन्म से

खींचचान
छाप का छाप से

जानना
दिखती है वही
नेता जनता और नेता
प्रश्नपत्र कठिन है

 

जानना

जन्म बचपन यौवन
वार्धक्य मृत्यु
तत्पूर्व और पश्चात भी
आदमी नहीं
मात्र प्रकृति या काल ही
शाश्वत निरंतर
मानना सरल जानना कठिन
मानते मानते पशु
मानो पूर्ण और तृप्त
जानते जानते आदमी
विकल अपूर्ण अतृप्त।

२० जुलाई २००९

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