अनुभूति में तरुण भटनागर की रचनाएँ -
छंदमुक्त में- आदमी के लिए अकेलपन का जंगल कभी गुलदस्ते में फूल चिंदियाँ चायवाला पुराने अलबम की तस्वीरें बंद और खुली आँखें बचपन का घर बरसों से बादलों के लिए पहला मानसून सूरज के साथ साथ ठंड का कारण उनकी यादें विचित्र ज़िन्दगी़ विरोध के तीन तरीके वृक्ष की मौत पर समुद्र किनारे शाम क्षितिज की रेखा
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