अनुभूति में
सुकीर्ति गुप्ता की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
एक त्रासदी
चाहत
प्रेम
फुर्सत नहीं
बौराए से दिन
संबंध
स्त्री का एक गीत |
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एक त्रासदी
सबके साथ कदम से कदम
मिला कर चलना
एक परेड हैं
जहाँ लय, ताल, गति है
पर व्यक्ति नहीं
पहचान बनाने के लिए
बेताल होना जरूरी है
पैर से भी नहीं
चमत्कारिक ढंग से
हवा में उछलिए
और उछलते रहिए
जब तक लोग सहानुभूति में भर
आपको थाम न लें
भीड़ से छिटक कर
भटकना और भटकते रहना
जब तक आपका वजूद
आपके हो साए में
न खो जाए।
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