अनुभूति में
सुकीर्ति गुप्ता की रचनाएँ- छंदमुक्त में-
एक त्रासदी
चाहत
प्रेम
फुर्सत नहीं
बौराए से दिन
संबंध
स्त्री का एक गीत
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प्रेम
धरती की सुवासित सोंधी गंध
लहर-हहर कर किसी
मन चीन्हे बरगद की
उठी भुजाओं के आमंत्रण में
लता सी सिमटी रहती है
दोनों की सार्थकता
प्रकृति भोगती है
नहीं तो...
वृक्ष ठूँठ सा दरक जाता है
और धरती में
दरार पड़ जाती है।
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