अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में सुकीर्ति गुप्ता की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
एक त्रासदी
चाहत
प्रेम
फुर्सत नहीं
बौराए से दिन
संबंध
स्त्री का एक गीत
 

स्त्री का एक गीत

ऊषा की सतरंगी
सपनों की दुनिया से उठकर
साधती है स्वर रसोई घर में
बच्चे चाय की गंध पाकर
अंगड़ाई लेते ईद-गिर्द घिर जाते,
उनकी बतकही में
बजता हद्तंत्री स्वर
और वह,
उमंग भर लहराती गति से
पति के सपनों में पहुँचती
उँगलियों के पोरों से माथे पर
भैरवी की मधुर धुन छेड़ती
पति की उनींदीं आँखों में
चाय की मुस्कान तैरती देख
गीत को प्यार भरा विराम देती,
वर्षा ऋतु सी स्नात

केश लहराती घटा
भीग उठता घर स्नेह से
गीत की कड़िया में
आवृत्ति दोहराती भोजन की
दाल-दाल, चावल-चावल
रोटी-रोटी और साग
सम पर यति
भावालाप की,
मीठे के साथ
बोल बनाव का शृंगार
सज उठता खाने की मेज पर,
वाद्य-वृन्द से वे
हँसते बोलते हैं
फिर, दूरागत ध्वनि आकर्षण से बंधे
स्कूल, ऑफिस चले जाते
और वह,
आधुनिक गीत की अंतिम कड़ी सी
पर्स ठीक करती
बाहर की दुनिया नापती।

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter