अनुभूति में
सुकीर्ति गुप्ता की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
एक त्रासदी
चाहत
प्रेम
फुर्सत नहीं
बौराए से दिन
संबंध
स्त्री का एक गीत |
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चाहत
फूलों की तनहाई में
उमेठन खाती एक
पतली सी पगडंडी
राही के थरथराते कदम
और वह साथ
बस चलने का सिलसिला ही रहे
भटकन की लम्बी उमर हो
मंजिल का छोटा सा कण भी
उसे और एकाकी कर
पत्थर की घाटी में
दफना देगा।
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