अनुभूति में
सत्येश भंडारी
की
रचनाएँ -
चुनाव कविताएँ-
कार और सरकार
प्याज और चुनाव
हास्य व्यंग्य में-
असली नकली दूध
इंटरनेट पर शादी
अँधेर नगरी और पर्यावरण
जंगल का चुनाव
पर्यावरण और कुर्सी
छंदमुक्त में-
अंधा बाँटे रेवड़ी
एक क्रांति का अंत
"गाँधी का गुजरात" या "गुजरात का
गाँधी"
संकलन में-
गाँव में अलाव-सर्द हवाओं के बीच
ज्योति पर्व-क्यों कि आज दिवाली है
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प्याज और चुनाव
कभी सौ ग्राम से ज़्यादा प्याज़
न खरीदने वाले मुसद्दी लाल ने
अचानक बीस किलो
प्याज की माँग की तो
दुकानदार हैरान रह गया।
प्याज़ बीस किलो और
वह भी मुसद्दीलाल?
जरूर कुछ गड़बड़ है!
मेहमान को तुमने कभी
भरपेट खिलाया हो
ऐसा याद नहीं पड़ता, और
अभी तुम्हारे घर
शादी होने का
सवाल नहीं उठता।
फिर इतने प्याज का
करोगे क्या?
क्या पाकिस्तान का
हमला होनेवाला है या
प्याज़ का
अकाल पड़ने वाला है?
मुसद्दी मुस्कराया,
दुकानदार की बुद्धि पर
तरस आया।
यह प्याज ही है जो
बीस हाथ दूर खड़े
आदमी को पल भर में
रूला सकता है,
पाँच सितारा होटलों के
खाने का
जायका बिगाड़ सकता है, और
देखते देखते
बड़ी से बड़ी सरकार
गिरा सकता है।
न तो
देश पर पाकिस्तान का
हमला होने वाल है, और
न ही यहाँ प्याज का
अकाल पड़ने वाला है
ये प्याज तो मैं इसलिये
खरीद रहा हूँ, क्योंकि
जल्दी ही देश में
चुनाव आने वाला है। |